📅 Jagannath rath yatra 2025 तिथि और समय:
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मुख्य रथयात्रा: 27 जून 2025, शुक्रवार को होगी — यह आषाढ़ महिनें की शुक्ल द्वितीया तिथि पर पड़ेगी
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द्वितीया तिथि प्रारंभ: 26 जून को दोपहर 1:24 बजे से
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द्वितीया तिथि समाप्त: 27 जून सुबह 11:19 पर
When jagannath rath yatra 202 जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को खींचने के विशेष नियम और परंपराएं होती हैं। ये नियम धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं और श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा के साथ इनका पालन करते हैं।
यहाँ “जगन्नाथ का रथ खींचने के नियम” हिंदी में दिए गए हैं:
🚩 Jagannath rath yatra 2025 खींचने के नियम (नियमावली):
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शुद्धता आवश्यक होती है
रथ खींचने से पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनना चाहिए। मादक पदार्थ, मासाहार या अन्य अशुद्ध वस्तुएँ सेवन न करें। -
रथ खींचने के लिए केवल रस्सियों से खींचा जाता है
भक्त रथ को रस्सियों से खींचते हैं, किसी यंत्र या वाहन का प्रयोग नहीं होता। -
स्त्रियाँ भी रथ खींच सकती हैं
इस धार्मिक आयोजन में महिलाओं को भी रथ खींचने की अनुमति होती है। यह समानता और समर्पण का प्रतीक है। -
नंगे पाँव चलना वर्जित नहीं परंतु अनुशंसित
रथ खींचते समय अधिकांश श्रद्धालु नंगे पाँव चलते हैं — यह भक्ति और नम्रता का प्रतीक है। -
राजा स्वयं करते हैं ‘छेरा पन्हारा’ (झाड़ू लगाना)
पुरी के गजपति महाराज रथ के आगे स्वर्ण झाड़ू लगाकर “सेवकता” प्रदर्शित करते हैं। तब ही रथ खींचना शुरू होता है। -
रथ खींचना पुण्य माना जाता है
मान्यता है कि रथ खींचने से जीवन के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। -
रथ को रोकना या दिशा बदलना वर्जित है
एक बार रथ चल पड़ा तो उसे जबरदस्ती रोकना या गलत दिशा में खींचना वर्जित होता है। -
अति उत्साह या धक्का-मुक्की वर्जित
अनुशासन बनाए रखना आवश्यक होता है। धक्का-मुक्की, चढ़ाई या रथ पर जबरदस्ती चढ़ना मना है। -
‘हरि बोल’ और ‘जय जगन्नाथ’ का उच्चारण करें
रथ खींचते समय भक्त ‘हरि बोल’, ‘जय बलभद्र’, ‘जय सुभद्रा’ और ‘जय जगन्नाथ’ के उद्घोष करते हैं। -
विदेशी भी रथ खींच सकते हैं
यह आयोजन सभी जाति, धर्म और देशों के लोगों के लिए खुला होता है। कई विदेशी भी भक्ति से रथ खींचते हैं।
Jagannath rath yatra 2025 विशेष तथ्य:
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भगवान जगन्नाथ का रथ — नन्दिघोष (१६ पहियों वाला)
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बलभद्र जी का रथ — तालध्वज (१४ पहियों वाला)
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देवी सुभद्रा का रथ — दर्पदलन (१२ पहियों वाला)
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📜Jagannath rath yatra 2025 पूजा-अर्चना और अनुष्ठानक्रम (नव-दिवसीय)
क्रमांक | अनुष्ठान | तिथि (2025) | विवरण |
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1 | Snana Purnima (स्नान पूर्णिमा) | 12 जून (गुरु) | भगवान जगन्नाथ का 108 कलश से स्नान; इसके बाद वे ‘गरम लगने’ के कारण बीमार माने जाते हैं |
2 | Anavasara (अनासरा) | 13 – 26 जून | बीमार होने के कारण मंदिर के मुख्य गर्भगृह में 15 दिन विराम । |
3 | Gundicha Marjana (गुंडीचा मर्जन) | 26 जून (गुरुवार) | गुढीचा मंदिर की सफाई और नवजीवन दर्शन। |
4 | Rath Yatra (रथयात्रा) | 27 जून (शुक्रवार) | भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा तीनों भव्य रथों पर विराजित होकर बड़ी यात्रा पर निकलते हैं । |
5 | Hera Panchami (हेरा पंचमी) | 1 जुलाई | लक्ष्मी जी की खोज; विशेष अनुष्ठान और रथ की जांच। |
6 | Bahuda Yatra (बहुदा यात्रा) | 4 जुलाई | रथ यात्रा का वापस लौटना; रास्ते में ‘मौसी माँ’ मंदिर पर पुष्प और पोंडा पत्र अर्पित होते हैं । |
7 | Suna Besha (सुनाबेशा) | 5 जुलाई | बहुमूल्य सोने के आभूषणों से रथों की अलंकरण। |
8 | Niladri Bijay (नीलाद्रि बिजय) | 5 (या 8) जुलाई | रथ यात्रा का समापन, भगवान का मूल मंदिर में पुनः प्रवेश । |
📜jagannath rath yatra 2025: नौ‑दिनों का पर्व क्रम
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अनवसरा (Anavasara)
– प्रारंभ: 13 जून 2025
– समाप्ति: 26 जून 2025 -
गुण्डिचा मरजन (Gundicha Marjana)
– कार्यक्रम: 26 जून 2025 -
रथ‑यात्रा (Rath Yatra)
– दिनांक: 27 जून 2025 -
हेरा पंचमी (Hera Panchami)
– दिनांक: 1 जुलाई 2025 -
बहुदा यात्रा (Bahuda Yatra)
– दिनांक: 4 जुलाई 2025 -
सुनाबेशा (Suna Besha)
– दिनांक: 5 जुलाई 2025 -
निलाद्री विजया (Niladri Bijay)
– दिनांक: 5 जुलाई 2025 (रथ यात्रा का समापन)
👉 कुल मिलाकर यह महोत्सव 13 जून से लेकर 5 जुलाई 2025 तक चलता है, जिसमें रथ‑यात्रा की मुख्य तिथि 27 जून है .
🕉️ कार्यक्रम सारांश
चरण | तिथि | आयोजन |
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अनवसरा | 13–26 जून | देवताएँ स्नान के बाद विश्राम करती हैं |
गुण्डिचा मरजन | 26 जून | रथ की पूजा एवं सफाई |
रथ‑यात्रा | 27 जून | जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा देवी का रथ गुंडीचा मंदिर तक खींचा जाता है |
हेरा पंचमी | 1 जुलाई | देवी सुभद्रा की पूजा |
बहुदा यात्रा | 4 जुलाई | देवताएँ वापसी करती हैं |
सुनाबेशा एवं निलाद्री विजया | 5 जुलाई | रथ यात्रा का भव्य अंत एवं मंदिर में वापसी |
🔍 विशेष जानकारी
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रथ यात्रा द्वीतीय तिथि पर होती है, इसलिए 26 जून दोपहर 1:24 से 27 जून सुबह 11:19 के बीच ही खींची जा सकती है
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पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा को क्रमशः “गरुड़ध्वज”, “तालध्वज” और “पद्म रथ” में विराजमान किया जाता है
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मान्यता है कि भक्तों द्वारा रथ को खींचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है
🔍 महत्त्व
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यह यात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को मनाई जाती है, जो आषाढ़ महीने की चन्द्र कल के द्वितीय दिन होती है
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भक्तों की मान्यता है कि रथ को खींचने से पाप माफ होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है
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महाराजा ऑफ पुरी ‘छेरा पान्हारा’ द्वारा रथ साफ करते हैं — यह दासत्व और समानता का प्रतीक माना जाता है ।
📍 स्थान
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मुख्य आयोजन स्थल: पुरी, ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर और गुंडीचा मंदिर के बीच (लगभग 3 किमी का मार्ग) ।
ℹ️ अन्य जानकारियाँ
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ISKCON समेत अन्य मंदिरों में भी स्थानीय रूप से रथयात्रा होती है, जैसे प्रयागराज में एसकेशन की यात्रा 29 जून को स्थगित रखी गई है
यदि आप पुरी यात्रा की योजना बना रहे हैं तो जून के मध्य तक यात्रा एवं आवास की व्यवस्था कर लें क्योंकि इन दिनों भारी भीड़ होती है और मौसम भी गर्म, नम रहता है।